मुहावरा:- अंगारों पर लोटना का अर्थ और वाक्य में प्रयोग angaro par lotna meaning of idiom in hindi

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अंगारों पर लोटना मुहावरे का अर्थ angaro par lotna muhavare ka arth – कष्ट सहना या दुख सहना ।

अंगारों पर लोटना  मुहावरे का अर्थ क्या होता है?

दोस्त अंगारों पर लोटना  मुहावरे का अर्थ कष्ट सहना या दुख सहना होता है । यानि दोस्त,

मुहावरा अर्थ
अंगारों पर लोटनाकष्ट सहना या दुख सहना
अंगारों पर लोटना  मुहावरे का अर्थ क्या होता है?

अंगारों पर लोटना मुहावरे को कैसे समझे

दोस्तो जब किसी पेड़ की ‌‌‌लकड़ियो यों में आग लग जाती है तो आग लगने के बाद में वह लकड़ी जलने के कारण से ‌‌‌वह कोयलो में बदल जाती है मगर अभी भी उनमें बहुत अधिक आग होती है । इस तरह से कह सकते है की अभी भी कोयले जल रहे है । और जब इस तरह से कोयले जलते है तो उन्हे अंगारे कहा जाता है । ‌‌‌और इस तरह लोटने का मतलब होता है सोने से ।

अब अंगारो पर लोटना का मतबल हुआ अंगारो पर सोना । क्योकी जब कोई व्यक्ति इस तरह से अंगारो पर सोता है तो उसे काफी अधिक कष्टो का सामना करना पडता है । या यह कह सकते है की उसे बहुत दुखो का सामना करना पडता है ‌‌‌यानि उस व्यक्ति को कष्ट सहना या दुख सहना पड रहा है । ‌‌‌इस तरह से अंगारो पर लोटना मुहावरे का अर्थ कष्ट सहना या दुख सहना हो जाता है ।

‌‌‌अंगारो पर लोटना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग angaro par lotna idioms in sentences in hindi

अंगारों पर लोटना का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

‌‌‌अंगारो पर लोटना मुहावरे पर कहानी story on idiom angaro par lotna in Hindi

दोस्तो प्राचीन समय में एक गाव हुआ करता था जिसमें एक बहुत ही अधिक धनवान सेठ रहा करता था उसका नाम हजारी था । सेठ के पिता ‌‌‌का आस पास के शहरो में काफी अधिक बोलबाला था और इसी कारण से हर कोई सेठ के पास ही आता और अपना काम करवाता था । सेठ के पास दरसल तीन तरह के काम ‌‌‌हुआ करते थे जो की सेठ के पिता भी करते थे मगर उनके मरने के बाद में सेठ ही वह सब काम करने लगा था ।

उनमे से एक तो लोगो की मदद करने के लिए ब्याज पर पैसे दिया करता था । और दूसरा सेठ स्वयं एक सुनार की दुकान खोल ‌‌‌के रखा था जिसमें वह अकेला ही काम करता था । इसके साथ ही सेठ कपडो का व्यापार भी करता था ‌‌‌। और इस तरह से कपडो के कारोबार में वह गाडी की गाडी आस पास के गावो में पहुचाता रहात था ।

इस तरह से सेठ कारोबार से वह खुब पैसे कमा लेता था । जिसके कारण से उसके पास किसी तरह की कोई कमी नही थी । सेठ के घर में उसकी पत्नी और दो बच्चे रहा करते थे जो की काफी अधिक छोटे थे । और सेठ की पत्नी ‌‌‌भी धनवान घरआने से थे । इस तरह के काम सेठ के पिता ने बडी ही इज्जत के साथ किए थे ।

मगर जैसे ही सेठ ने इन कामो में अपना हाथ जमाया तो ‌‌‌वह लोगो को लूटने में लग गया । सेठ लोगो को पैसे तो ‌‌‌दिया करता था । मगर उनसे लेते समय अधिक ले लेते थे । जिसके बारे में लोगो को कुछ पता नही था । और इसी तरह से ‌‌‌जब सेठ सुनार का काम करता तो वह आभुषणो में मिलावट करने लगा था और खुब मुनाफा कमाने लगा था ।

सेठ अभी भी रूका नही था बल्की सेठ जीन लोगो को कपडे भेजता था उन्हे भी भेजने में गलतिया करता और अपना फायदा कमाता था । जिसके कारण में अभी तक किसी को पता नही था । मगर इस तरह से कितने दिनो तक चल सकता था‌‌‌क्योकी कपडो के कारोबार में धिरे धिरे लोग उससे दूर होने लगे थे यानि सेठ से कपडे नही लेने लगे थे ।

जिसके कारण से सेठ का कपडो का कारोबार पूरी तरह से बंद होने लगा था । मगर सेठ पैसो की लालच में यह भूल गया था की वह अपना ही नुकसान कर रहा है। और एक समय ऐसा आ गया की सेठ का कपडो का कारोबार बंद हो ‌‌‌गया था । जिसके कारण सेठ क्या कर सकता था उसे मजबूरन अपने इस काम को अच्छे रूपयो में दूसरो को सोपना पड गया था ।

मगर सेठ अभी रूका नही था बल्की सेठ सुनार के काम मे मिलावट करता और लोगो को पैसे देते समय कम ब्याज बताता और लेते समय अधि पैसे ले लेता था ।

कहते है ना की गलत काम ज्यादा दिनो तक नही ‌‌‌रूकता है यही सेठ के साथ हुआ था । दरसल एक बार गाव में किसी घर में विवाह का मोका था और गाव में विवाह था तो उस घर के मालिक ने सेठ से ही आभुषण लिए और उससे ही विवाह के लिए पैसे भी उधार लिए थे। मगर सेठ ने यह नही सोचा था की बारात किस घर से ‌‌‌आने वाली है बल्की वह हर बार आभुषणो मे मिलावट करता रहता था ।

इस तरह से विवाह का जो भी समान था उसमे सेठ के ही आभुषण बिके थे जिसके कारण से सेठ काफी अधिक खुश था की उसे बहुत अधिक पैसे मिल गए है । मगर जब विवाह के लिए बारात आई तब सेठ को यह मालूम हुआ ही जीस घर से बारात ‌‌‌आई है या लडके का पिता भी एक सुनार है ।

तब सेठ यह ‌‌‌सोचने लगा की वह मिलावट की इस बात को पकड लेगा क्योकी एक सुनार यह आसानी से पहचान सकता है की आभूषणो में कितनी मिलावट है। और सेठ तो भर भर कर मिलावट करता जा रहा था । तब सेठ काफी अधिक घबरा गया था । मगर वह यह सोच कर शांत हो गया की मैं कह दुगा की इसने ‌‌‌मुझसे ऐसे ही मिलावटी गहने बनाए गए थे ।

इस तरह से विवाह तक यह बात दबी रही मगर विवाह के दो दिनो के बाद में सेठ की दुकान पर पुलिस आ गई और छापा मारने लगी । और उनके साथ कुछ लोग भी आए थे जो की सेठ के आभुषणो की जांच पडताल कर रहे थे । दरसल विवाह में जो दुल्ला था वह एक पुलिस वाला था जिसके बारे ‌‌‌में सेठ को पता नही था । मगर जब सेठ की दुकान मे छापा लगा तो उसे यह पता चल गया की दुल्ले ने और उसके पिता ने ही यह छापा ढाला है।

मगर अब क्या हो सकता था सेठ पकडा गया क्योकी उसकी दुकान में जो भी आभुषण थे उन सभी में अधिक से अधिक मिलावट थी जिसके बारे में आस पास के लोगो को पता चल गया । ‌‌‌और मिलावट समान बेचने के लिए सेठ को पुलिस ने रफ्तार भी कर लिया था ।

अंगारो पर लोटना मुहावरे पर कहानी

दो तिन दिनो के बाद में सेठ रिहा हो सका तो वह लडकी के पिता से अपना सारा धन वापस देने को कहने लगा । तब धन देने के लिए दुल्हे यानि वह पुलिस वाला आया और उसने पैसे दे दिए । ‌‌‌और यह सब नजारा आस पास के लोग देख रहे थे । कुछ समय के बाद में रात्री होने वाली थी और सेठ ने जल्दबाजी में अपने सभी पैसे दुकान में ही रख दिए ।

जिसके कारण से उसी रात को चोर ने उस दुकान में डाका डाल दिया और सारा धन चुराकर ले गए । जिसके बारे में अगले दिन सेठ को पता चला की उसकी दुकान में चोरी हो गई ‌‌‌। इस तरह से सेठ का सारा धन खत्म हो गया था और सेठ अपने हाथ पर हाथ धरे बेठा रहा क्योकी वह पुलिस के पास इसकी शिकायत भी लिखवा चुका था मगर कुछ न हो सका ।

इस बात को एक महिना हुआ तो सेठ के घर में जो धन बंचा था वह खत्म होने लगा । जिसके कारण सेठ को अपना घर चलाने के लिए दुसरे शहर में अन्य लोगो के ‌‌‌पास काम करने के लिए जाना पडता था । इस तरह से एक महिने के बाद में सेठ के मालिक ने उसे कहा की दोखो सेठ तुम काम तो अच्छी तरह से कर रहे थे मगर आभुषणो में मिलावट के कारण से पकडे गए । और तुम्हारे कपडो के कारखाने में भी तुमने घोटाला किया है।

जिसके कारण से ही आज तुम्हारी ऐसी हालत हो गई है की मानो ‌‌‌जैसे की तुम अंगारो पर लोट रहे हो ।

इस तरह की बात सुन कर सेठ ने अपनी गलतियो की और ध्यान दिया मगर कुछ समय के बाद में वापस इन्हे भूल गया था । और उसी दिन जैसे ही सेठ अपने घर गया तो वहां पर उसकी पत्नी उसे कहने लगी की आप लोगो को ठगने लगे थे । जिसके कारण से हमारा सब कुछ नष्ट हो गया और आज हम ‌‌‌अंगारो पर लोट रहे है ।

तभी सेठ के ससुराल वाले वहां पर आ गए और उन्होने सेठ की मदद के नाम पर कुछ पैसे दिए और एक नया काम शुरू कर कर दे दिया । ताकी सेठ अपना काम कर सके और वह कष्टो से दूर हो सके । मगर अब तक सभी लोगो को सेठ के बारे में पता चल गया था जिसके कारण से सेठ की दुकान पर कुछ ही लोग आभुषण ‌‌‌लेने के लिए आते थे ।

तब सेठ को स्वयं को समझ मे आया की उसने जो गलती की है वह उसे नही करनी चाहिए थी । तब सेठ ने सही रास्ते पर चलने का सोचा और पूरी ईमानदारी के साथ अपने इस काम को करता रहा । इस तरह से सेठ का सब कुछ नष्ट हुआ था ।

इस तरह से आप समझ गए होगे की अंगारो पर लोटना मुहावरे का अर्थ क्या ‌‌‌होता है ।

अंगारो पर लोटना मुहावरे पर निबंध

साथियो ‌‌‌जीस भी स्थान पर आग लगती है वहां सब कुछ जल कर नष्ट हो जाता है ठिक वैसे ही जैसे किसी पेड के जलने के बाद होता है । ओर इस तरह से जलने के बाद में जो भी कुछ ‌‌‌बचता है जिसे कोयला कहा जाता है । मगर यह अभी ठंडा नही होता है । बल्की ऐसा कोयला जो अभी जल रहा हो यानि उसमें अभी ताप होता है ‌‌‌जिसे अंगारे कहा जाता है । 

दूसरा की आपने कभी सांप को देखा होगा जो की अपनी छकावट मिटाने के लिए रेगिस्तान की रेत पर लेटता है । क्योकी यह रेत ठंडी होती है जिसके कारण से उसे बहुत अधिक ठंड प्राप्त होती है जिससे उसे बहुत ही अच्छा लगता है । इसी तरह से मनुष्य भी सोने के लिए लेटता है ‌‌‌। इन दोनो को ही लोटना कहा जाता है ।

अब हम कह सकते है की अंगारे पर लोटना मगर यह रेत में लोटने के समान नही होता है क्योकी अंगारे गर्म होते है जिसके कारण से सांप को ठंड प्राप्त नही होती ‌‌‌बल्की उसका शरीर जलने लग जाता है। और इस तरह से सांप को कष्ट सहना पडता है । उसी तरह से अगर मनुष्य अंगारो पर लोटता ‌‌‌है । यानि सोता है तो उसका भी शरीर जलने लग जाता है ।

इस तरह से शरीर के जलने के कारण से उसे भी कष्ट का सामना करना पडता है यानि कष्ट सहना पडता है । इसी तरह से जहां पर भी कष्ट सहने या दुख सहने की बात होती है वही पर इस मुहावरे का प्रयोग होता है जिसके कारण से यह समझा जा सकता है की इस मुहावरे का ‌‌‌ ‌‌‌अर्थ कष्ट सहना या दुख सहना होता है । क्योकी अंगारो पर लोटने के कारण से कष्ट ही सहना पडता है ।

इस तरह से आप समझ गए होगे ।

इस तरह से हमने अंगारो पर लोटना मुहावरे के बारे में जानकारी हासिल कर ली है ।

क्या आपने कभी अंगारो पर लोटने के नाटको को देखा है बताना न भूले ।

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