ठेस लगना / पहुँचाना मुहावरे का अर्थ thes lagana / pahuchana muhavare ka arth – चोट लगाना या मानसिक कष्ट पहुंचाना ।
ठेस लगना या ठेस पहुँचाना मुहावरे का अर्थ क्या होता है?
दोस्त ठेस लगना या ठेस पहुँचाना मुहावरे का अर्थ चोट लगाना या मानसिक कष्ट पहुंचाना होता है । यानि दोस्त,
| मुहावरा | अर्थ |
| ठेस लगना या ठेस पहुँचाना | चोट लगाना या मानसिक कष्ट पहुंचाना |

ठेस लगना या ठेस पहुँचाना मुहावरे को कैसे समझे
दोस्तो इस संसार में सभी को अपनी इज्जत प्यारी है और अपनी इसी इज्जत के कारण से वह कभी भी दूसरो के सामने शर्मीदा नही होना चाहता है । मगर जब किसी व्यक्ति को कोई ऐसे अपशब्द कह देता है । जिसके कारण से उसकी इज्जत कम हो जाए या उस व्यक्ति को अपशब्द सुन कर दूख होता है । तब इसे चोट पहुंचाना / लगाना या मानसिक कष्ट पहुंचाना कहा जाता है । और इसे ही ठेस लगाना कहते है।
ठेस लगाना मुहावरे के अन्य रूप
दोस्तो इस मुहावरे को कुछ अन्य नामो से भी जाना जाता है । जो है –
| मुहावरा | अर्थ |
| ठेस लगाना | चोट लगाना या मानसिक कष्ट पहुंचाना |
| ठेस पहुंचाना | चोट लगाना या मानसिक कष्ट पहुंचाना |
ठेस लगाना
ठेस पहुंचाना
यह दोनो मुहावरे असल में एक ही होते है मगर अलग अलग रूप में जाने जाते है ।
ठेस लगाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

- धनवान सेठ ने रामू को भला बुरा कह कर ठेस लगा दिया ।
ठेस पहुंचाना मुहावरे पर कहानी // thes pahunchana muhavare par kahani
कुछ समय पहले की बात है किसी नगर में बहुत से लोग रहा करते थे और वहां पर इतने अधिक लोग थे की आस पास के गाव में नही देखने को मिलते थे । इन लोगो का जीवन बडी अच्छी तरह से चल रहा था और सभी अपने कार्यों में व्यस्त थे । जिसके कारण से कोई भी किसी की बातो की तरफ ध्यान नही देता था ।
नगर के बहुत से लोग अलग अलग राज्यो में काम करने के लिए गए हुए थे । और जो बाकी बचे थे वे अपने खेतो में अच्छी फसल उगाए हुए थे । जिसके कारण से लोगो को लग रहा था की इस वर्ष काफी अधिक फसल होने वाली है । क्योकी पूरे वर्ष मोसम भी अच्छा था और लोगो के खेतो में पानी की किसी तरह की कोई कमी नही थी ।
जिसके कारण से फसल अच्छी होनी ही थी । उसी नगर में यह जो फसल थी उसे केवल एक ही व्यक्ति खरीदता था जिसका नाम धनिकलाल था । धनिकलाल काफी अधिक धनवान था और उसके पास एक बडा गौदाम था । जिसमें वह अपने गाव और आस पास के गाव के लोगो की फसल खरीदता और अच्छे दामो में आगे भेज देता था ।
धनिकलाल काफी अधिक लालची था और अपने इसी लालच के कारण से हर वर्ष वह अपने गाव के लोगो को चमका दे कर कम दामो में फसल खरीद लेता था । क्योकी धनिकलाल जीतना लालची था वह उतना ही बुद्धिमान था जिसके कारण से उसने लोगो को अहसास तक नही होने दिया की वह उनसे कम पैसो में फसल लेता है ।
बल्की धनिकलाल तो लोगो को बेवकुफ बनाने में माहिर था । इसी तरह से दुसरे गाव के लोगो से भी वह फसल खरीदता रहता था । धनिक लाल जैसे ही फसल निकलती उन लोगो के खेतो में जाकर खडा हो जाता था । जिसके कारण से धनिकलाल वही से अन्न लेकर अपने गौदाम में रख देता था ।
एक बार की बात है धनिकलाल इसी तरह से लोगो की फसल या अन्न को खरीद ली थी । और उसे अपने गौदाम में इकट्ठा कर लिया था । तब लोगो को काफी अधिक पैसो की जरूरत थी। और धनिक लाल अन्न या फसल के पैसे भी अधिक दे रहा था जिसका फायदा गाव के लोगो ने उठा कर अपनी सारी फसल धनिक लाल को बैच दी ।
और सोचा की जब अन्न की जरूरत होगी तो वापस ले लेगे । मगर लोगो ने जब भी अपनी फसल धनिक लाल को बेची तो एक ही बात कही की भाई धनिकलाल जब हमे कभी अन्न की जरूरत होगी तो वापस दे देना । और कहा की ज्यादा पैसा तो नही देगे । क्योकी आप हमारे गाव के ही हो ।
तब धनिक लाल ने कहा की भाई लोगो जब आपके पास अन्न नही होगा तो मै आपको भुखा थोडे रहने दुगा । बल्की आप आधे दाम में अन्न ले लेना। इस तरह से धनिक लाल ने वादा कर दिया था । समय बितता गया और तभी देश में एक हलचल सुनने को मिली और यह कोविड के बारे में थी ।
हालाकी अभी कैस मिलने ही लगे थे । मगर धनिकलाल समझ गया की यह वायरस कोई आम वायरस नही है इसके कारण से लोगो के सारे काम बंद पड सकते है । जिसके कारण से धनिक लाल ने तुरन्त अच्छे दाम देकर लोगो के पास जो बचा अन्न था वह भी खरीद लिया था ।
एक महिने के बाद ही लोगो को पता चला की उनके शहर में भी कोविड की बिमारी आ गई है । जिसके कारण से लोकडाउन लगने वाला है । यह खबर सभी को चौका देती है । और ऐसा ही होता है क्योकी सरकार ने घोषणा कर दी थी की आज से देश में लॉकडाउन है । जिसके कारण से जो जहां है वही रहेगा ।
इस तरह से लॉकडाउन लग जाने के कारण से सभी का काम बंद पड़ गया था । मगर धनिक लाल का काम अन्न का था तो उसका काम बंद नही पडा बल्की वह अपना काम ऐसे ही करता रहा । 10 दिन बिते और लोगो को अन्न की जरूरत होने लगी । जिसके कारण से सभी धनिक लाल से अन्न लेने के लिए जाने लगे थे ।
मगर धनिकलाल यह सब देख कर उनसे दो गुना धन लेकर अन्न देने लगा था । जिसे देख कर सभी कहने लगे की भाई धनिक लाल यह क्या कर रहे हो यह तो हमारे साथ आप बेईमानी कर रहे हो । आपने वादा किया था की जब हमे अन्न की जरूरत होगी तो आधे धन में दे दोगे ।
चलो आधे में तो नही दे सकते मगर इसका मतलब यह नही की आप दो गुना धन लेने लग जाओ । तब धनिक लाल ने कहा की अगर लॉकडाउन इसी तरह से चलता रहा तो दोगुना धन भी तीन गुना हो जाएगा । आपको अभी लेना है तो लो वरना अन्न की किमत बढने वाली है ।
यह सुन कर लोगो ने कहा की भाई यह तो पूरा अन्याय है । ऐसा थोडे होता है । ऐसा कह कर लोग वापस चले गए । मगर दो दिन के बाद में वही सभी लोगा वापस धनिक लाल के पास आए तो उन्हे पता चला की अन्न की किमत धनिकलाल ने अब तीन गुणी कर दी है । इसके साथ ही जो अन्नले ने के लिए आता धनिक लाल उसे बुरा भला कहता जिसके कारण से लोगो को ठेस पहुंचने लगा ।
मगर अब लोगो को पता चल गया था की कोविड का अभी अंत नही होगा और कही पर जा नही सकते है । अब केवल धनिक लाल से ही अन्न लेना होगा । यह सोच कर लोग धनिक लाल से अन्न लेने लगे थे । इस तरह से धनिक लाल खुब पैसे कमाने लगा था । इसी तरह से चलता हुआ बहुत समय बित गया मगर अब जाकर लॉकडाउन थोडा बहुत हटने लगा था । जिसके कारण से लोग धिरे धिरे काम करने लगे थे ।
मगर पहले की तरह अब काम करने में वह मजा नही था ।क्योकी सावधानी अधिक रखनी पडती थी और काम की किमत अधिक नही मिल रही थी। और इधर सभी वस्तुओ के भाव बढते जा रहे थे । और धनिक लाल का तो कहना ही क्या वह लोगो की मजबूरी का फायदा उठा कर उन्हे ठगता जा रहा था ।
- मक्खी मारना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
- दूध की मक्खी होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग
- मुहावरा:- अंगारों पर लोटना का अर्थ और वाक्य में प्रयोग angaro par lotna meaning of idiom in hindi
जिसके कारण से लोगो को ठेस पहुंचा रहा था । मगर अब लोगो ने भी सोच लिया था की धनिक लाल की तरह अब हम किसी पर भी भरोषा नही करेगे । इसके बाद में जब लोगो के खेतो में सफल हुई तो वे धनिक लाल को कम बेचने लगे थे और अपने घर में अधिक रखते थे । ताकी कोविड जैसी बिमारी के कारण से जो परेशानी आई थी वह फिर कभी न आए ।
और ऐसा ही हुआ क्योकी अगले ही वर्ष फिर से यही हुआ कोविड वापस आ गया और लॉकडाउन लग गया था । मगर अब लोगो को धनिक लाल के पास नही जाना पड़ता था । जिसके कारण से धनिकल लाल लोगो की मजबूरी का फायदा नही उठा पाया था ।

इसके बादमे लोग कभी भी धनिक लाल की बातो पर भरोषा नही करते और कहते की तुम्हारा क्या तुम तो कभी भी हमे ठेस लगा सकते हो । और इस तरह से लोग धनिक लाल को बुरा भला कह कर उसे ही ठेस पहुंचाने लगे थे । तब जाकर धनिक लाल को अपनी गलती का अहसास हो गया । और फिर धनिकलाल पर गाव के किसी भी व्यक्ति ने अपने जीवन में भरोषा नही किया था ।
ठेस लगाना मुहावरे पर निबंध
साथियो ठेस का अर्थ चोट या फिर मानसिक कष्ट होता है । और इस तरह से ठेस लगाना का मतलब चोट लगाना या या मानसिक कष्ट लगाना होता है । क्योकी इस मुहावरे को ठेस पहुंचाना भी कहा जाता है तो इसका मतलब होगा की चोट पहुंचाना या मानसीक कष्ट पहुंचाना भी होगा ।
इस तरह से जब कभी मनुष्य अपनी गलती या जान बुझ कर किसी अन्य व्यक्ति को किसी भी तरह का मानसिक कष्ट देता है तो इसे ठेस लगाना ही कहा जाता है । अगर किसी तरह की चोट भी पहुंचाई जाती है तो इसे भी ठेस लगाना या ठेस पहुंचाना कहा जाता है ।
क्योकी इस मुहावरे का अर्थ ही हलकी चोट पहुंचाना या चोट लगाना होता है । क्योकी जब मानव को लोगो के सामने अपमानित किया जाता है तो यह भी एक तरह का कष्ट होता है और उसे मानसिक कष्ट पहुंचता है । चाहे कष्ट कैसा भी हो चोट तो पहुंचती ही है । और ऐसा कहा भी जाता है की आपने लोगो के सामने मेराअपमान कर कर मुझ पर चोट लगा दी । इस तरह से चोट लागना भी इस मुहावरे का अर्थ हुआ ।
अब आप इस मुहावरे के बारे में अच्छी तरह से जान गए होगे । की इस मुहावरे का अर्थ क्या होगा ।